गाय केवल पशु नहीं — वह पोषण, पारंपरिक कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कड़ी है।
गाय भारतीय ग्रामीण समाज में केवल एक पशु नहीं है, बल्कि वह पोषण, परंपरागत कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कड़ी है। उसकी उपयोगिता दूध, गोबर और गौमूत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त माध्यम है।
मुख्य कार्यक्रम:
गौशाला सहयोग योजना – परंपरागत गौशालाओं को आधुनिक सुविधाओं से युक्त करना, ताकि गायों की देखभाल बेहतर ढंग से हो सके।
गोसेवा शिविर – गांव-गांव में नियमित रूप से शिविर आयोजित कर पशु-चिकित्सा, टीकाकरण, एवं पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना।
प्रशिक्षण कार्यक्रम – ग्रामीणों को गो-उत्पादों (जैसे: गोबर से खाद, गौमूत्र आधारित जैविक कीटनाशक, पंचगव्य, साबुन, अगरबत्ती आदि) के निर्माण एवं विपणन का प्रशिक्षण देना।
स्थानीय बाज़ार और ब्रांडिंग – दुग्ध एवं गौ-आधारित उत्पादों के लिए स्थानीय स्तर पर बाज़ार तैयार करना और ग्रामीण उत्पादों को उचित ब्रांडिंग व मूल्य दिलाना।
स्कूलों और युवाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम – नई पीढ़ी को गाय की सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिकीय भूमिका से अवगत कराना।
आय का स्थिर स्रोत: दुग्ध व्यवसाय, गोबर गैस, गो-उत्पाद निर्माण आदि के माध्यम से ग्रामीण परिवारों के लिए आत्मनिर्भरता और सतत आय सुनिश्चित होती है।
जैविक कृषि को बढ़ावा: रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर गोबर एवं गौमूत्र आधारित जैविक खादों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पर्यावरण संरक्षण होता है।
महिलाओं को सशक्त बनाना: गो-उत्पाद निर्माण एवं विपणन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सकता है।
पशुपालन समुदायों की सुरक्षा: पशुधन पर निर्भर समुदायों को टिकाऊ संसाधन उपलब्ध कराकर उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना।
स्थानीय रोजगार सृजन: दुग्ध उत्पादन, पैकेजिंग, परिवहन, विपणन और कुटीर उद्योगों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर सृजित होते हैं।

Society of Mission 4G Plus (Cow, Ganga, Village, and Gayatri) is a social and cultural organization dedicated to preserving India’s heritage, values, and spiritual essence. We believe that the true strength of India lies in its roots – represented by four Read more..